SCO क्या है? स्थापना, 10 सदस्य देश, उद्देश्य, प्रभाव, चुनौतियाँ और भारत की भूमिका

SCO क्या है?

शंघाई सहयोग संगठन (Shanghai Cooperation Organisation – SCO) एक स्थायी अंतर-सरकारी संगठन है जो राजनीतिक, आर्थिक और सुरक्षा सहयोग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से कार्य करता है। इसकी स्थापना एशिया क्षेत्र में आपसी विश्वास, स्थायित्व, शांति और विकास सुनिश्चित करने के लिए की गई थी।


याद रखने की ट्रिक (TRICK to Remember):

“SCO” =
S – शांति और सुरक्षा
C – सहयोग (Cooperation)
O – अवसर (विकास और व्यापार के)

SCO के मुख्य उद्देश्य:

  1. एशिया क्षेत्र में शांति, स्थायित्व और सुरक्षा सुनिश्चित करना।
  2. सदस्य देशों के बीच आपसी विश्वास और सद्भावना को बढ़ाना
  3. आतंकवाद, उग्रवाद और अलगाववाद से मिलकर मुकाबला करना।
  4. सदस्य देशों के बीच आर्थिक, सांस्कृतिक और शैक्षिक सहयोग बढ़ाना।
  5. आर्थिक, व्यापारिक, ऊर्जा और परिवहन क्षेत्र में सहयोग बढ़ाना।

स्थापना:

स्थापना की तिथि 15 जून 2001
उत्पत्ति 1996 में 'शंघाई पाँच' (Shanghai Five) के रूप में शुरुआत
स्थापक देश चीन, रूस, कज़ाख़स्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान
मुख्यालय बीजिंग, चीन
कार्य भाषाएँ चीनी और रूसी
भारत की सदस्यता 2017 (पूर्ण सदस्य)
नवीनतम सदस्य बेलारूस – 2024

वर्तमान 10 सदस्य देश (2025):

क्रमदेश का नामसदस्यता वर्ष टिप्पणी
1चीन (China)2001 संस्थापक सदस्य
2रूस (Russia) 2001 संस्थापक सदस्य
3कज़ाख़स्तान (Kazakhstan)2001 संस्थापक सदस्य
4किर्गिस्तान (Kyrgyzstan)2001 संस्थापक सदस्य
5ताजिकिस्तान (Tajikistan) 2001 संस्थापक सदस्य
6उज़्बेकिस्तान (Uzbekistan) 2001 2001 में ‘शंघाई पाँच’ में शामिल होकर पूर्ण सदस्य बना
7भारत (India) 2017 पूर्ण सदस्य बना
8पाकिस्तान (Pakistan) भारत के साथ ही शामिल हुआ
9ईरान (Iran)2023 पहले पर्यवेक्षक, फिर पूर्ण सदस्य
10बेलारूस (Belarus)2024 नवीनतम पूर्ण सदस्य (10वाँ देश)

SCO के 10 सदस्य देशों के लिए ट्रिक:

“चीन की बड़ी पार्टी में भारत, रूस, ईरान और चार ‘स्तान’ गए!”

“China ki badi party mein Bharat, Russia, Iran aur 4 ‘-stan’ gaye!”

दूसरा याद करने का ट्रिक (जो आपका सरल लगे वे आप याद कर ले):
TRICK to Remember 10 Countries:

“BIRU-CPK-ITUU”
➡ B – Belarus
➡ I – India
➡ R – Russia
➡ U – Uzbekistan
➡ C – China
➡ P – Pakistan
➡ K – Kazakhstan
➡ I – Iran
➡ T – Tajikistan
➡ U – Kyrgyzstan (U से याद रखें: U = U-Kyrgyzstan)


भारत की विदेश नीति का मूल उद्देश्य राष्ट्रीय हितों की रक्षा करते हुए वैश्विक व्यवस्था में प्रभावी भूमिका निभाना है। वैश्वीकरण के युग में, भारत विभिन्न द्विपक्षीय (Bilateral), क्षेत्रीय (Regional) और वैश्विक (Global) समूहों तथा समझौतों के माध्यम से अपनी रणनीतिक, आर्थिक, तकनीकी और सुरक्षा संबंधी आवश्यकताओं को पूरा करता है। इन साझेदारियों का प्रभाव भारत की अंतरराष्ट्रीय छवि, कूटनीति और भू-राजनीतिक स्थिति पर गहरा पड़ता है।

1. द्विपक्षीय (Bilateral) समझौते और समूह

भारत–अमेरिका संबंध

  • रणनीतिक समझौते: LEMOA, COMCASA, BECA
  • रक्षा सहयोग: संयुक्त सैन्य अभ्यास (Yudh Abhyas, Tiger Triumph)
  • प्रौद्योगिकी साझेदारी: ICET (Initiative on Critical and Emerging Technologies)

भारत–फ्रांस संबंध

  • राफेल डील, परमाणु ऊर्जा सहयोग
  • इंडो-पैसिफिक में साझा दृष्टिकोण

भारत–रूस संबंध

  • S-400 मिसाइल रक्षा प्रणाली, ब्रह्मोस मिसाइल
  • BRICS और SCO में सहयोग

2. क्षेत्रीय (Regional) समूह और भारत

BIMSTEC (Bay of Bengal Initiative)

  • भारत की “Act East Policy” का हिस्सा
  • क्षेत्रीय सहयोग: व्यापार, कनेक्टिविटी, आपदा प्रबंधन

SCO (Shanghai Cooperation Organisation)

  • आतंकवाद-विरोधी सहयोग
  • मध्य एशिया में भारत की मौजूदगी

ASEAN और भारत–ASEAN FTA

  • सामुद्रिक सहयोग, व्यापार, सुरक्षा साझेदारी
  • Indo-Pacific Vision में ASEAN की केंद्रीयता

SAARC

  • राजनीतिक बाधाएँ (विशेषतः पाकिस्तान के कारण निष्क्रियता)
  • COVID-19 SAARC फंड जैसे प्रयास

3. वैश्विक (Global) समूह और समझौते

संयुक्त राष्ट्र (UN)

  • भारत की UNSC स्थायी सदस्यता की मांग
  • UN Peacekeeping में भारत का योगदान

G20 और BRICS

  • वैश्विक आर्थिक नीति में योगदान
  • ब्रिक्स बैंक (NDB) में सक्रिय भागीदारी

WTO

  • कृषि सब्सिडी और डेवलेपिंग देशों के हितों की रक्षा
  • ई-कॉमर्स पर भारत का आरक्षित दृष्टिकोण

भारत के हितों पर प्रभाव
क्षेत्र समझौतों / समूहों का प्रभाव

सुरक्षा रणनीतिक साझेदारी, आतंकवाद निरोधक सहयोग
अर्थव्यवस्था निवेश, मुक्त व्यापार समझौते (FTAs)
प्रौद्योगिकी नवाचार, डिजिटल साझेदारी (ICET)
पर्यावरण अंतरराष्ट्रीय जलवायु समझौते (Paris Agreement)

भारत की विदेश नीति बहुपक्षीयता, रणनीतिक स्वायत्तता और संतुलन की नीति पर आधारित है। विभिन्न समूहों और समझौतों में सक्रिय भागीदारी से भारत वैश्विक शक्ति संतुलन में अपनी स्थिति को मजबूत कर रहा है। इन साझेदारियों के माध्यम से भारत न केवल अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा करता है, बल्कि वैश्विक विकास, शांति और स्थिरता में भी योगदान देता है।

महत्वपूर्ण अंग / संरचनाएँ

RATS (Regional Anti-Terrorist Structure)

मुख्यालय: ताशकंद, उज्बेकिस्तान
कार्य: आतंकवाद और चरमपंथ के खिलाफ सहयोग

SCO शिखर सम्मेलन (Summit)

वार्षिक बैठक जिसमें सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष भाग लेते हैं

भारत को मिलने वाले लाभ:

क्षेत्र लाभ

सुरक्षा आतंकवाद विरोधी सहयोग (RATS), अफगान नीति में भूमिका
ऊर्जा मध्य एशिया से ऊर्जा स्रोतों तक पहुँच
व्यापार कनेक्टिविटी (INSTC, चाबहार पोर्ट)
रणनीति चीन-पाकिस्तान के साथ मंच साझा कर रणनीतिक संतुलन

भारत के सामने चुनौतियाँ:

चीन और पाकिस्तान की वर्चस्वकारी भूमिका 
SCO की BRI (Belt and Road Initiative) को भारत का विरोध
निर्णय प्रक्रिया में पारदर्शिता और गति की कमी

बेलारूस की सदस्यता का महत्व (2024)

SCO की भौगोलिक पहुंच अब यूरोप तक फैल गई है 
भारत को यूरेशियाई देशों के साथ रणनीतिक बातचीत का एक और मंच
भारत-बेलारूस संबंधों में रक्षा, विज्ञान और तकनीकी सहयोग पहले से है, जो अब SCO मंच पर और प्रगाढ़ हो सकते हैं।

SCO भारत के लिए एक रणनीतिक मंच है जहाँ वह मध्य एशिया, रूस और चीन जैसे महत्त्वपूर्ण देशों के साथ बहुपक्षीय संवाद में शामिल हो सकता है। हालांकि संगठन में कुछ अंतर्विरोध हैं, फिर भी यह भारत की बहु-ध्रुवीय (multi-polar) विदेश नीति को संतुलित करने का प्रभावी साधन है।

भारत और SCO: हाल की प्रमुख घटनाएँ (2023–2024)

1. भारत ने 2023 में SCO की अध्यक्षता की (SCO Chairmanship – 2023):

  • भारत ने पहली बार SCO की अध्यक्षता करते हुए वर्चुअल शिखर सम्मेलन का आयोजन किया।
  • थीम: “Towards a SECURE SCO”
    (SECURE = Security, Economic development, Connectivity, Unity, Respect, Environment)
  • भारत ने मिलेट्स (Shree Anna), डिजिटल हेल्थ, स्टार्टअप्स, और ट्रेड फेयर जैसे विषयों को प्राथमिकता दी।

2. मिलेट्स और खाद्य सुरक्षा पर भारत का नेतृत्व:

  • भारत ने 2023 को “अंतरराष्ट्रीय मिलेट वर्ष (International Year of Millets)” के रूप में मनाया।
  • SCO मंच पर भी मिलेट्स को पोषण और कृषि नवाचार का मॉडल बताया।

3. SCO स्टार्टअप फोरम और डिजिटल इनिशिएटिव:

  • भारत ने SCO Startup Forum और SCO Digital Health Platform की शुरुआत की।
  • डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर पर भारत की पहल को सराहा गया।

4. SCO शांति मिशन और आतंकवाद विरोधी सहयोग:

  • भारत ने RATS (Regional Anti-Terrorist Structure) के माध्यम से आतंकवाद पर साझा रणनीति की वकालत की।
  • साथ ही, पाकिस्तान द्वारा आतंकी संगठनों को समर्थन पर आपत्ति भी जताई।

5. कनेक्टिविटी विवाद और पाकिस्तान की बाधा:

  • भारत ने पाकिस्तान द्वारा कनेक्टिविटी रोकने (OBOR के विरोध) को खुले रूप में उठाया।
  • CPEC को भारत ने फिर से संप्रभुता के उल्लंघन के रूप में चिन्हित किया।

भारत का SCO के प्रति दृष्टिकोण सुरक्षा, विकास, बहुपक्षीयता और संस्कृति के मेल पर आधारित है।
2023 में अध्यक्षता के दौरान भारत ने दिखाया कि वह केवल सदस्य नहीं, बल्कि नेतृत्वकर्ता भूमिका में है —
मिलेट्स, डिजिटल स्वास्थ्य, स्टार्टअप्स और सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में अपनी पहचान बनाई।

“SCO should be a voice of the Global South and a platform of constructive cooperation.”
PM Modi, SCO Summit 2023


भारत 2017 से SCO का पूर्ण सदस्य है। यह मंच बहुपक्षीय सुरक्षा, आर्थिक सहयोग और कनेक्टिविटी जैसे क्षेत्रों में सदस्य देशों के बीच समन्वय का एक महत्त्वपूर्ण साधन है। भारत का दृष्टिकोण इस संगठन के प्रति संतुलित, रणनीतिक और बहुस्तरीय रहा है, जिसमें भागीदारी के साथ-साथ स्वायत्तता (cooperative autonomy) का विशेष स्थान है।

भारत SCO में एक सक्रिय, उत्तरदायी, परंतु विवेकशील सदस्य के रूप में उभरा है। वह सामूहिक सुरक्षा, क्षेत्रीय स्थिरता और आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देते हुए भी अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा में कोई समझौता नहीं करता। यह दृष्टिकोण 21वीं सदी की संतुलित और बहु-ध्रुवीय कूटनीति का उदाहरण है।

भारत का दृष्टिकोण बहुपक्षीय मंचों पर न्याय, संप्रभुता और सार्वभौमिक सुरक्षा सिद्धांतों पर आधारित है। वह सहयोग में अग्रणी है लेकिन अपने रणनीतिक हितों से समझौता नहीं करता। यह नीति रणनीतिक स्वायत्तता के साथ सहभागिता (Strategic Autonomy with Selective Engagement) को दर्शाती है।

SCO आज एशिया में सबसे प्रभावशाली सुरक्षा और आर्थिक संगठन बन चुका है। भारत इसकी सदस्यता को रणनीतिक और विवेकपूर्ण दृष्टिकोण से अपनाता है, जहाँ वह आतंकवाद के विरुद्ध सहयोग, संस्कृति और व्यापार का आदान-प्रदान, और संपूर्ण विकास को बढ़ावा देता है, परंतु अपनी राष्ट्रीय संप्रभुता और नीति की स्वतंत्रता से कोई समझौता नहीं करता।


MohanExam

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