नक्सलवाद: इतिहास, कारण, पंचवर्षीय योजनाओं की भूमिका और 2026 तक सरकार की रणनीति

नक्सलवाद क्या है?

नक्सलवाद एक वामपंथी (Leftist) क्रांतिकारी विचारधारा है, जिसका उद्देश्य पूंजीवाद, सामंतवाद और सामाजिक असमानता को समाप्त कर एक समतावादी (egalitarian) समाज की स्थापना करना है।

  • चूँकि इसकी शुरुआत नक्सलबाड़ी से हुई, इसलिए इसे “नक्सलवाद” कहा गया।
  • यह विचारधारा मानती है कि सामाजिक बदलाव केवल सशस्त्र संघर्ष (armed revolution) के माध्यम से ही संभव है।
  • इसकी शुरुआत 1967 में पश्चिम बंगाल के नक्सलबाड़ी गाँव से हुई, चारु मजूमदार और कानू सान्याल के नेतृत्व में।
  • यह आंदोलन शुरू में किसानों, मजदूरों और आदिवासियों के अधिकारों के लिए था, लेकिन बाद में हिंसात्मक विद्रोह में बदल गया।

1950 की पंचवर्षीय योजनाओं और नक्सलवाद का संबंध

नक्सलवाद की औपचारिक शुरुआत 1967 में हुई थी (नक्सलबाड़ी विद्रोह)।
लेकिन 1950 के दशक में उसके बीज (roots) मौजूद थे – यानी गरीबी, ज़मींदारी, भूमि विवाद, और सामाजिक असमानता

इसलिए 1950 के दशक की पंचवर्षीय योजनाओं ने जो विकास कार्य शुरू किए, वे भविष्य के नक्सलवाद को रोकने की एक अप्रत्यक्ष कोशिश भी थे।

पहली पंचवर्षीय योजना (1951–56):

बिंदुविवरण
मुख्य उद्देश्यकृषि और सिंचाई का विकास
भूमि सुधार पर ज़ोरजमींदारी प्रथा खत्म करने की शुरुआत
समाजवाद की नींवसमानता की दिशा में प्रयास

लेकिन ज़मींदारी खत्म करने के कानून कई राज्यों में लागू ही नहीं हुए, जिससे किसानों में असंतोष बढ़ता

दूसरी पंचवर्षीय योजना (1956–61):

बिंदुविवरण
औद्योगीकरण पर ज़ोरभारी उद्योगों की स्थापना
ग्रामीण क्षेत्र उपेक्षितगाँवों में बेरोज़गारी और गरीबी बनी रही
आदिवासी क्षेत्र पीछे रह गएविकास की पहुँच नहीं थी

इस योजना में गाँवों की बजाय शहरों पर ध्यान दिया गया,
जिससे ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में आर्थिक असमानता और आक्रोश और बढ़ा।

नोट:-

1950 के दशक में नक्सलवाद सीधा मुद्दा नहीं था,
लेकिन उस समय की योजनाओं की कमियाँ (भूमि सुधार में विफलता, गाँवों की उपेक्षा)
ने एक ऐसा माहौल तैयार किया जिससे बाद में नक्सलवाद फूटा।

1950 की योजना बनाम 1967 का नक्सलबाड़ी विद्रोह (तुलनात्मक विश्लेषण)

बिंदु1950 की पंचवर्षीय योजनाएँ1967 का नक्सलबाड़ी विद्रोह
समयकाल1951–1961 (1st और 2nd Five-Year Plans)1967 (नक्सलबाड़ी, पश्चिम बंगाल)
मुख्य उद्देश्य / भावनाविकास, गरीबी हटाना, भूमि सुधारअन्याय और ज़मींदारी के खिलाफ विद्रोह
केंद्र बिंदुकृषि और औद्योगीकरणभूमि अधिकार और सामाजिक न्याय
कमज़ोरियाँ– भूमि सुधार लागू नहीं हो पाए- गाँवों की उपेक्षा- आदिवासी क्षेत्रों में विकास की कमी– किसानों की ज़मीन छीनी जा रही थी- पुलिस और प्रशासन ने कोई सहायता नहीं दी
परिणामयोजनाएँ बनीं लेकिन ज़मीनी स्तर पर असर सीमित रहाहिंसक आंदोलन की शुरुआत, जो आगे चलकर नक्सलवाद बना
प्रभावित वर्गग्रामीण किसान, भूमिहीन मजदूर, आदिवासीवही वर्ग — लेकिन अब वे विद्रोही बन गए
नैतिक अंतरसरकार सुधार चाहती थी लेकिन कमजोर क्रियान्वयनजनता ने खुद हथियार उठाए — क्रांति की राह पर
सीखकेवल योजना बनाना काफ़ी नहीं — ज़मीनी न्याय ज़रूरीजब न्याय नहीं मिलता, तो लोग व्यवस्था के खिलाफ हो जाते हैं

1950 की योजनाओं में बदलाव की सोच थी,
लेकिन जब वो ज़मीनी स्तर पर लागू नहीं हुई,
तो 1967 में गरीबों ने खुद क्रांति की राह चुनी।
नक्सलवाद इस असंतोष का परिणाम था — जो विकास की असमानता और अन्याय से उपजा।

1. नक्सल आंदोलन की आगे की घटनाएँ (1967 के बाद)

1970 का दशक:

  • 1972 में चारु मजूमदार की मृत्यु के बाद आंदोलन बिखरने लगा।
  • कई गुटों में बँटाव: CPI(ML) के विभिन्न गुट बने। जैसे —
    • CPI(ML) People’s War Group (PWG)
    • Maoist Communist Centre (MCC)

1980–1990 का दशक:

  • PWG और MCC जैसे संगठनों ने आंध्र प्रदेश, बिहार, झारखंड, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल में गुप्त रूप से आधार मजबूत किया।
  • ग्रामीण क्षेत्रों में जन अदालतें लगाईं जाने लगीं और भूमिहीनों को हथियारबंद किया गया

2004 में बड़ा मोड़:

  • CPI (Maoist) का गठन हुआ — PWG और MCC का विलय।
  • यह संगठन अब भारत सरकार द्वारा प्रतिबंधित आतंकवादी संगठन के रूप में चिह्नित है।

सरकार की प्रतिक्रिया (Government Response)

सुरक्षा आधारित रणनीति:

  • “Operation Green Hunt” (2009): एक बड़े पैमाने पर अर्धसैनिक बलों की तैनाती।
  • CRPF, COBRA, BSF और राज्य पुलिस की विशेष यूनिट्स बनाई गईं।

विकास आधारित रणनीति:

  • IAS अधिकारी श्रीमती श्यामला गोपीनाथ की अध्यक्षता में “एकीकृत कार्य योजना (IAP)” शुरू की गई।
  • योजनाओं का उद्देश्य: शिक्षा, सड़कें, स्वास्थ्य, रोजगार।

कानूनी रणनीति:

  • UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत कार्रवाई।
  • प्रतिबंधित संगठन घोषित करना, माओवादी नेताओं की गिरफ्तारी।

3. वर्तमान स्थिति (2020 के बाद)

क्षेत्रीय प्रभाव:

  • नक्सली गतिविधियाँ अब केवल छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, महाराष्ट्र, तेलंगाना जैसे कुछ राज्यों तक सीमित रह गई हैं।
  • 2010 में जहाँ 2258 घटनाएँ हुई थीं, वहीं 2023 में यह घटकर लगभग 400 रह गईं।

सरकार का दावा – 2026 तक नक्सलवाद का अंत:

  • भारत के गृह मंत्री अमित शाह ने 2024 में कहा था कि “2026 तक नक्सलवाद भारत से पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा।”
  • उन्होंने यह भी कहा कि सरकार ने नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या को 90 से घटाकर 45 कर दिया है।
  • यह सरकार की सुरक्षा-आधारित और विकास-आधारित दोहरी रणनीति का परिणाम है।

कारण:

  • सुरक्षा बलों की सघन कार्रवाई और नई तकनीक का उपयोग।
  • सड़क, बिजली, मोबाइल नेटवर्क और शिक्षा जैसी सुविधाओं की पहुँच।
  • आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों की संख्या में वृद्धि।

फिर भी चुनौतियाँ:

  • छत्तीसगढ़ के बस्तर, बीजापुर और सुकमा जैसे क्षेत्र अब भी प्रभावित हैं।
  • आदिवासी क्षेत्रों में भूमि अधिकार, शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी समस्याएँ बरकरार हैं।
  • माओवादी अब डिजिटल प्रचार और शहरी नेटवर्क के जरिए विचारधारा फैलाने का प्रयास कर रहे हैं।

निष्कर्ष

नक्सलवाद केवल एक सुरक्षा चुनौती नहीं, बल्कि गहराई से जुड़ी सामाजिक और आर्थिक असमानता का परिणाम है।
जब तक ग्रामीण, आदिवासी और वंचित वर्गों को न्याय, विकास और अधिकार नहीं मिलेगा, तब तक केवल हथियारों से नक्सलवाद का स्थायी समाधान नहीं निकलेगा।
सरकार को सुरक्षा के साथ-साथ विश्वास और संवाद की नीति अपनानी होगी।

2025 की नवीनतम रिपोर्ट के अनुसार नक्सल प्रभावित जिले

भारत सरकार द्वारा अप्रैल 2025 में जारी की गई रिपोर्ट के अनुसार, नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या में काफी कमी आई है। अब देश में केवल 18 जिले ही नक्सलवाद (Left Wing Extremism – LWE) से प्रभावित माने जा रहे हैं, जबकि पहले यह संख्या 126 तक थी।

सबसे ज़्यादा नक्सल प्रभावित जिले (Most Affected Districts – 6 जिले)

  1. छत्तीसगढ़:
    • बीजापुर
    • कांकेर
    • नारायणपुर
    • सुकमा
  2. झारखंड:
    • पश्चिम सिंहभूम
  3. महाराष्ट्र:
    • गढ़चिरौली

ये जिले अब भी हिंसा और माओवादियों की गतिविधियों से सबसे अधिक प्रभावित हैं।

विशेष निगरानी वाले जिले (Districts of Concern – 6 जिले)

  1. ओडिशा:
    • कालाहांडी
    • कंधमाल
    • मलकानगिरी
  2. आंध्र प्रदेश:
    • अल्लूरी सीताराम राजू जिला
  3. मध्य प्रदेश:
    • बालाघाट
  4. तेलंगाना:
    • भद्राद्री-कोठागुडेम

यहां नक्सल गतिविधियाँ सीमित हैं लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाते हैं।

अन्य नक्सल प्रभावित जिले (Other Affected Districts – 6 जिले)

  1. छत्तीसगढ़:
    • दंतेवाड़ा
    • गरियाबंद
    • मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी
  2. झारखंड:
    • लातेहार
  3. ओडिशा:
    • नुआपाड़ा
  4. तेलंगाना:
    • मुलुगु

इन जिलों में पहले नक्सली प्रभाव था लेकिन अब हिंसा न्यूनतम है।

भारत सरकार का लक्ष्य:

  • गृह मंत्री अमित शाह के अनुसार, भारत सरकार का लक्ष्य है कि मार्च 2026 तक भारत को पूरी तरह नक्सलवाद-मुक्त बना दिया जाए।
  • सरकार द्वारा “ऑपरेशन कागर” जैसे विशेष अभियान चलाए जा रहे हैं।
  • साथ ही सड़क निर्माण, मोबाइल टावर, स्किल सेंटर, बैंकिंग सुविधा, पुलिस कैंप जैसे विकास कार्यों पर ज़ोर दिया जा रहा है।
श्रेणीजिले की संख्याप्रमुख राज्य
सबसे ज़्यादा प्रभावित6छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र
विशेष निगरानी वाले जिले6ओडिशा, आंध्र, एमपी, तेलंगाना
अन्य प्रभावित जिले6छत्तीसगढ़, झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना

कुल बचे हुए जिले: 18
2026 तक भारत को नक्सल-मुक्त करने का लक्ष्य

SAMADHAN

नक्सलवाद के लिए “SAMADHAN” रणनीति भारत सरकार की एक व्यापक और बहुआयामी योजना है, जिसे गृह मंत्रालय ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में नक्सली हिंसा को समाप्त करने के लिए तैयार किया है। यह रणनीति 2017 में शुरू की गई थी और अब 2025 तक के नक्सल उन्मूलन मिशन का केंद्रीय आधार बन गई है।

अक्षरअर्थ (Strategy)विवरण
SSmart Leadershipवरिष्ठ नेतृत्व की सुदृढ़ता, जिम्मेदारीपूर्ण निर्णय, और कार्यान्वयन की निगरानी।
AAggressive Strategyनक्सलियों के खिलाफ निर्णायक और आक्रामक कार्रवाई।
MMotivation and Trainingसुरक्षाबलों की बेहतर ट्रेनिंग, संसाधन और मनोबल वृद्धि।
AActionable Intelligenceज़मीनी स्तर की सही खुफिया जानकारी और उस पर त्वरित कार्रवाई।
DDashboard Based KPIs (Key Performance Indicators)योजनाओं और अभियानों की डिजिटल निगरानी और मूल्यांकन।
HHarnessing Technologyड्रोन, GPS, मोबाइल ट्रैकिंग, सेटेलाइट जैसी आधुनिक तकनीकों का उपयोग।
AAction Plan for Each Theatreहर प्रभावित ज़ोन के लिए विशेष और स्थानीय अनुकूल योजना।
NNo Access to Financingनक्सलियों की आर्थिक कमर तोड़ना, हवाला और वसूली तंत्र पर प्रहार।

SAMADHAN रणनीति के प्रमुख उद्देश्य:

  1. सुरक्षा बलों की क्षमताओं को बढ़ाना।
  2. स्थानीय जनता का विश्वास जीतना।
  3. विकास कार्यों को तेज़ गति देना।
  4. नक्सलियों की भर्ती, वित्त और प्रचार को रोकना।
  5. शांति, पुनर्वास और आत्मसमर्पण नीति को प्रोत्साहन देना।

मौलिक अधिकारों पर लिंक:
[भारतीय संविधान के मौलिक अधिकारों को समझें]

भारतीय संविधान की 5 रिट्स (Writs):
[अर्थ, उद्देश्य, विशेषताएँ]

PIB : https://www.pib.gov.in/indexd.aspx

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