भारतीय संविधान के 6 मौलिक अधिकार और उनकी 5 प्रमुख विशेषताएँ | Fundamental Rights

मौलिक अधिकार:

भारतीय संविधान के भाग-III (अनुच्छेद 12 से 35) में मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया गया है। ये अधिकार नागरिकों को न्याय, स्वतंत्रता, समानता और गरिमा के साथ जीने का अधिकार प्रदान करते हैं। यह अधिकार भारत को एक लोकतांत्रिक और कल्याणकारी राज्य बनाने के लिए आधार प्रदान करते हैं।

भारतीय संविधान में कुल मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) – 6 श्रेणियाँ

  1. समानता का अधिकार (Right to Equality) – अनुच्छेद 14 से 18
  2. स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom) – अनुच्छेद 19 से 22
  3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right against Exploitation) – अनुच्छेद 23 से 24
  4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom of Religion) – अनुच्छेद 25 से 28
  5. संस्कृति और शिक्षा से संबंधित अधिकार (Cultural and Educational Rights) – अनुच्छेद 29 से 30
  6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to Constitutional Remedies) – अनुच्छेद 32

नोट:- मूलतः 7 मौलिक अधिकार थे, लेकिन 44वें संविधान संशोधन, 1978 द्वारा संपत्ति का अधिकार (अनुच्छेद 31) को हटा दिया गया। अब यह कानूनी अधिकार है (अनुच्छेद 300A)।

1. समानता का अधिकार (Right to Equality) [अनुच्छेद 14 से 18]

  • अनुच्छेद 14 – कानून के समक्ष समानता और समान संरक्षण।
  • अनुच्छेद 15 – धर्म, जाति, लिंग, जन्म स्थान आदि के आधार पर भेदभाव निषेध।
  • अनुच्छेद 16 – सरकारी नौकरियों में समान अवसर।
  • अनुच्छेद 17 – अस्पृश्यता का उन्मूलन।
  • अनुच्छेद 18 – उपाधियों का उन्मूलन (जैसे “सर”, “रायबहादुर” आदि)।

2. स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom) [अनुच्छेद 19 से 22]

  • अनुच्छेद 19 – अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, आंदोलन, भाषण, संगठन का अधिकार आदि।
  • अनुच्छेद 20 – आपराधिक मामलों में संरक्षण।
  • अनुच्छेद 21 – जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता का अधिकार।
  • अनुच्छेद 21A – 6-14 वर्ष की उम्र के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार।
  • अनुच्छेद 22 – गिरफ्तारी और निरोध के मामलों में संरक्षण।

3. शोषण के विरुद्ध अधिकार (Right Against Exploitation) [अनुच्छेद 23-24]

  • अनुच्छेद 23 – मानव तस्करी, बेगार और जबरन श्रम पर प्रतिबंध।
  • अनुच्छेद 24 – 14 वर्ष से कम आयु के बच्चों को खतरनाक उद्योगों में रोजगार देना निषिद्ध।

4. धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom of Religion) [अनुच्छेद 25-28]

  • हर व्यक्ति को अपने धर्म को मानने, अभ्यास करने और प्रचार करने का अधिकार।
  • धार्मिक संस्थानों को स्वतंत्रता।
  • शिक्षा संस्थानों में धार्मिक शिक्षा पर नियंत्रण।

5. संस्कृति और शैक्षिक अधिकार (Cultural & Educational Rights) [अनुच्छेद 29-30]

  • अल्पसंख्यकों को अपनी संस्कृति, भाषा और लिपि को संरक्षित करने का अधिकार।
  • उन्हें अपने शैक्षिक संस्थान स्थापित करने और चलाने की स्वतंत्रता है।

6. संवैधानिक उपचारों का अधिकार (Right to Constitutional Remedies) [अनुच्छेद 32]

  • अगर किसी का मौलिक अधिकार उल्लंघन होता है, तो वह सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट में जा सकता है।
  • डॉ. आंबेडकर ने इसे “संविधान की आत्मा” कहा था।

मौलिक अधिकारों की प्रमुख विशेषताएँ

1. संवैधानिक गारंटी प्राप्त (Constitutionally Guaranteed)

मौलिक अधिकार संविधान के भाग-III में निहित हैं, जो इन्हें कानूनी शक्ति और स्थायित्व प्रदान करता है।
इन्हें संसद द्वारा सामान्य कानून बनाकर नहीं बदला जा सकता, बल्कि इसके लिए संविधान संशोधन (Constitutional Amendment) की आवश्यकता होती है।

उदाहरण :- संसद ने 1978 में 44वें संविधान संशोधन द्वारा संपत्ति के अधिकार को मौलिक अधिकार से हटा दिया।

2. न्यायालय में लागू योग्य (Justiciable in Courts)

यदि किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है, तो वह सीधे सुप्रीम कोर्ट (अनुच्छेद 32) या उच्च न्यायालय (अनुच्छेद 226) की शरण ले सकता है।

  • अनुच्छेद 32 को डॉ. भीमराव आंबेडकर ने “संविधान की आत्मा और हृदय” कहा।
  • अदालत रिट्स (Writs) जैसे हबीयस कॉर्पस, मैंडेटस आदि के माध्यम से अधिकारों की रक्षा करती है।

3. सीमाओं सहित अधिकार (Rights with Reasonable Restrictions)

मौलिक अधिकार निरपेक्ष (absolute) नहीं हैं। इन पर राज्य द्वारा “सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता, सुरक्षा, स्वास्थ्य” जैसे आधारों पर उचित प्रतिबंध लगाए जा सकते हैं।

उदाहरण:- अनुच्छेद 19 में दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर राजद्रोह, मानहानि जैसे मामलों में सीमा तय की गई है।

4. नागरिकों और व्यक्तियों के लिए अधिकार (Rights for Citizens & All Persons)

सभी मौलिक अधिकार सिर्फ नागरिकों को नहीं बल्कि कुछ अधिकार भारत में रहने वाले सभी व्यक्तियों को मिलते हैं (विदेशियों को भी)।

अधिकारनागरिकों कोसभी व्यक्तियों को
अनुच्छेद 14 (समानता)
अनुच्छेद 19 (स्वतंत्रता)
अनुच्छेद 21 (जीवन)
उदाहरण:- एक विदेशी नागरिक भी यदि भारत में है तो उसे अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और गरिमा का अधिकार प्राप्त है।

5. आपातकाल में अधिकारों का निलंबन (Suspension during Emergency)

राष्ट्रीय आपातकाल (Article 352) की स्थिति में मौलिक अधिकारों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है:

  • अनुच्छेद 19 के अधिकार स्वतः निलंबित हो जाते हैं।
  • अन्य अधिकारों पर भी राष्ट्रपति द्वारा अनुच्छेद 359 के तहत अस्थायी निलंबन संभव है।
विशेष:- अनुच्छेद 20 और 21 अब आपातकाल में भी निलंबित नहीं किए जा सकते (44वां संशोधन, 1978)।

मौलिक अधिकारों की 5 प्रमुख विशेषताएँ:

क्रमविशेषतासंक्षिप्त विवरण
1संवैधानिक गारंटी प्राप्तसंविधान में भाग-III के तहत गारंटी दी गई है। सामान्य कानून से नहीं हटाया जा सकता।
2न्यायालय में लागू योग्यअनुच्छेद 32 और 226 के तहत अदालत में रिट के माध्यम से लागू कराए जा सकते हैं।
3सीमाओं सहित अधिकारपूर्ण स्वतंत्रता नहीं, बल्कि उचित प्रतिबंधों के साथ मिलते हैं।
4नागरिकों और व्यक्तियों के लिए अलग-अलग अधिकारकुछ अधिकार केवल नागरिकों को, कुछ सभी व्यक्तियों को मिलते हैं।
5आपातकाल में अधिकारों का निलंबनराष्ट्रीय आपातकाल में कुछ अधिकार अस्थायी रूप से निलंबित किए जा सकते हैं।

भारतीय संविधान में निहित मौलिक अधिकार (Fundamental Rights) न केवल हर नागरिक को गरिमा, स्वतंत्रता और समानता का जीवन जीने का अधिकार प्रदान करते हैं, बल्कि वे भारतीय लोकतंत्र की नींव भी हैं। ये अधिकार व्यक्ति और राज्य के बीच संतुलन बनाते हैं तथा नागरिकों को अन्याय और अत्याचार से सुरक्षा प्रदान करते हैं।

डॉ. भीमराव आंबेडकर ने अनुच्छेद 32 को “संविधान की आत्मा और हृदय” कहा, क्योंकि यह नागरिकों को उनके अधिकारों की रक्षा हेतु सर्वोच्च न्यायालय तक जाने का अधिकार देता है।

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मौलिक अधिकार


MCQs

प्रश्न 1:

निम्नलिखित में से कौन-से अनुच्छेद आपातकाल की स्थिति में भी निलंबित नहीं किए जा सकते?

  1. अनुच्छेद 19
  2. अनुच्छेद 20
  3. अनुच्छेद 21
  4. अनुच्छेद 22

कूट चुनिए:
A. केवल 1 और 2
B. केवल 2 और 3
C. केवल 1, 2 और 3
D. सभी 1, 2, 3 और 4

उत्तर: B
व्याख्या: अनुच्छेद 20 (दंड से संरक्षण) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता) को 44वें संशोधन (1978) के बाद आपातकाल में भी निलंबित नहीं किया जा सकता।

प्रश्न 2:

निम्नलिखित में से किस रिट के अंतर्गत न्यायालय किसी व्यक्ति से यह पूछ सकता है कि वह किस अधिकार से किसी सार्वजनिक पद पर है?

A. Mandamus
B. Certiorari
C. Habeas Corpus
D. Quo Warranto

उत्तर: D
व्याख्या: Quo Warranto एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है — “किस अधिकार से?
इस रिट के माध्यम से न्यायालय यह जांच करता है कि क्या कोई व्यक्ति कानूनन रूप से किसी सार्वजनिक पद पर नियुक्त किया गया है या नहीं

प्रश्न 3:

निम्न में से कौन-से अधिकार भारत में निवास कर रहे विदेशी नागरिकों को भी प्राप्त हैं?

  1. अनुच्छेद 14 – कानून के समक्ष समानता
  2. अनुच्छेद 19 – बोलने की स्वतंत्रता
  3. अनुच्छेद 21 – जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार
  4. अनुच्छेद 29 – संस्कृति की रक्षा

कूट चुनिए:
A. केवल 1 और 3
B. केवल 2 और 4
C. केवल 1, 3 और 4
D. सभी 1, 2, 3 और 4

उत्तर: A
व्याख्या: अनुच्छेद 14 और 21 सभी व्यक्तियों (citizens + foreigners) को लागू होते हैं। अनुच्छेद 19 और 29 केवल नागरिकों के लिए हैं।

प्रश्न 4:

निम्न में से कौन-सा कथन सही नहीं है?

A. अनुच्छेद 32 एक मौलिक अधिकार है।
B. संसद रिट्स जारी कर सकती है।
C. उच्च न्यायालय अनुच्छेद 226 के अंतर्गत रिट्स जारी कर सकता है।
D. हबीयस कॉर्पस रिट निजी व्यक्ति के विरुद्ध भी जारी की जा सकती है।

उत्तर: B
व्याख्या: संसद रिट्स जारी नहीं कर सकती; यह कार्य केवल सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट कर सकते हैं।

अनुच्छेद 32

  • यह मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सुप्रीम कोर्ट में जाने का अधिकार है।
  • इसके अंतर्गत सुप्रीम कोर्ट को 5 प्रकार की रिट्स (Writs) जारी करने की शक्ति है।

अनुच्छेद 226

  • यह राज्य उच्च न्यायालयों को भी मौलिक अधिकारों और अन्य कानूनी अधिकारों की रक्षा के लिए रिट्स जारी करने का अधिकार देता है।
  • उच्च न्यायालय का अधिकारक्षेत्र सुप्रीम कोर्ट से अधिक व्यापक है।

संसद का कार्य

  • संसद रिट जारी नहीं कर सकती। यह केवल न्यायालयों का कार्य है।
  • संसद रिट्स से संबंधित कानून बना सकती है (अनुच्छेद 35 के तहत), पर रिट जारी नहीं कर सकती

हबीयस कॉर्पस रिट

  • यह रिट व्यक्ति की अवैध हिरासत के खिलाफ जारी होती है।
  • इसे निजी व्यक्ति के खिलाफ भी जारी किया जा सकता है, जैसे – किसी ने किसी को घर में बंधक बना लिया हो।

प्रश्न 5:

यदि कोई व्यक्ति न्यायालय से कहता है कि वह सरकार के एक विभाग से अपना वैध हक प्राप्त करना चाहता है, लेकिन विभाग कार्य नहीं कर रहा है, तो वह कौन-सी रिट याचिका दायर करेगा?

A. Habeas Corpus
B. Prohibition
C. Mandamus
D. Certiorari

उत्तर: C
व्याख्या: Mandamus रिट सरकारी अधिकारियों को उनका कर्तव्य निभाने का आदेश देने के लिए होती है।

Mandamus एक लैटिन शब्द है, जिसका अर्थ है — “आदेश दो”।
यह रिट तब दायर की जाती है जब:

  • कोई लोक प्राधिकारी (सरकारी विभाग, अधिकारी) अपने वैधानिक कर्तव्य का पालन नहीं कर रहा हो।
  • याचिकाकर्ता को उससे कोई कानूनी हक प्राप्त करना हो।

Mandamus रिट की प्रमुख बातें:

  • इसे सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट द्वारा जारी किया जाता है।
  • यह केवल सरकारी अधिकारी/संस्था पर लागू होती है — निजी संस्थानों पर नहीं
  • इसे केवल वैध अधिकार के लिए ही दायर किया जा सकता है (जिसका कानूनी आधार हो)।

प्रश्न 6:

निम्नलिखित में से कौन-सा अधिकार केवल भारतीय नागरिकों को ही प्राप्त है?

A. जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार
B. धर्म की स्वतंत्रता
C. बोलने की स्वतंत्रता
D. कानून के समक्ष समानता

उत्तर: C
व्याख्या: अनुच्छेद 19 (जिसमें बोलने, संगठन, आंदोलन आदि की स्वतंत्रता है) केवल भारतीय नागरिकों को लागू होता है।

अनुच्छेद 19
यह केवल भारतीय नागरिकों को 6 स्वतंत्रताएँ प्रदान करता है:

  1. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता
  2. शांतिपूर्ण सभा की स्वतंत्रता
  3. संगठन बनाने का अधिकार
  4. स्थानांतरण का अधिकार
  5. भारत में कहीं भी निवास करने का अधिकार
  6. कोई भी व्यवसाय/व्यापार करने का अधिकार

नोट:- इन अधिकारों का लाभ विदेशी नागरिकों को नहीं मिलता।

मौलिक अधिकार

Mohan Exam

NCERT Class 11 – Indian Constitution (PDF)

अधिक जानकारी के लिए भारतीय संविधान की अधिकारिक वेबसाइट देखें।

भारतीय संविधान की 5 रिट्स (Writs)